शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

सुखनवर पत्रिका का जुलाई अगस्‍त 2010 का अंक पढ़ें



डाउनलोड करने के लिये यहां जाएं सुखनवर जुलाई अगस्‍त 2010 अंक
आन लाइन पढ़ें यहां सुख़नवर जुलाई अगस्‍त 2010 अंक

4 टिप्पणियाँ:

seema gupta ने कहा…

अभी अभी आदरणीय पंकज जी के ब्लॉग से सुख़नवर के जुलाई अगस्त 2010 अंक का लिंक मिला, आवरण देख कर ही मन कई साल पहले बचपन की यादों में खो गया, जब इसी तरह की कुछ रेखाएं खींच कर चित्रकला करने की कोशिश की जाती थी. सच है ना ये रेखाएं भी किसी ना किसी रूप में बचपन से लेकर उम्र भर हमसे जुडी रहती हैं, और हर बार इन रेखाओं का महत्व उतना ही रहता है, कम नहीं होता.
अभी सिर्फ एक नज़र ही इस पत्रिका में सिमटे सुन्दर साहित्य पर डाली है, अभी आराम से पढना बाकि है. आदरणीय इस्लाम जी का मुझे इस अंक में स्थान देने का दिल से आभार. अगले अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाये.


regards

निर्मला कपिला ने कहा…

अभी पंकज सुबीर जी की मेल से इस पत्रिका के बारे मे जाना बहुत अच्छी लगी पत्रिका । इसकी सदस्यता के लिये वार्षिक चंदा भेज रही हूँ। कृप्या मुझे पत्रिका की सदस्यता दें। धन्यवाद।

vandana gupta ने कहा…

अभी तो सिर्फ़ देखी है पत्रिका और इस बार तो लग रहा है काफ़ी रोचक है इसलिये तसल्ली से पढूँगी और फिर अपने विचार प्रस्तुत करूँगी।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

आपके ब्लॉग को आज चर्चामंच पर संकलित किया है.. एक बार देखिएगा जरूर..
http://charchamanch.blogspot.com/