सुख़नवर पत्रिका का मार्च अप्रैल अंक डाउनलोड करके पढ़ें नीचे दी गई लिंक से
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http://www.archive.org/details/SukhanwarMarchApril
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10 टिप्पणियाँ:
डिजाइन आकर्षक है.
मुख्या टेक्स्ट/कवर टाइटल "सुख़नवर" पिंक कलर में है. इसे पत्रिका के मूल कलर और फॉण्ट में रखा जा सकता है
रचना पढ़ने के बाद आता हूँ.
मैंने तड़ातर कुछ ग़ज़लें पढ़ डाली. और पंकज सुबीर की कहानी "तुम लोग" पढ़ कर थोड़ी देर के लिए जड़ हो गया.
बहुत अच्छा लगा ये सुख़नवर का सफ़र.
सम्पादक महोदय अनवारे इस्लाम जी को बधाई.
SUKHANWAR KAA NAYAA ANK ACHCHHA
LAG RAHAA HAI.ABHEE TAK MAIN
JOAAO GVIMAREZ ROSS KEE KAHANI
" NADEE KAA TEESRA KINARA " ,
PANKAJ SUBEER KEE KAHANI " TUM
LOG " AUR DARWESH BHARTI,KANCHAN
CHAUHAN AUR ABDUSSLAAM KAUSAR KEE
GAZALEN PADH PAAYAA HOON.STARNIY
RACHNAAYEN HAIN.BADHAAEE AUR SHUBH
KAMNA.
पढ्ती हूँ फिर बताती हूँ मगर मुझे पढने मे अभी एक दो दिन लगेंगे अभी समय कम मिल रहा है। धन्यवाद और आशीर्वाद्
सुखनवर' पढ़ कर मज़ा आगया...पत्रिका क्या है गागर में सागर है...बेहतरीन ग़ज़लें लेख और कहानियां...वाह...कौसर और दरवेश साहब की ग़ज़लें दिल में बस गयीं...और आपकी कहानी...सुभान अल्लाह...ऐसे अनूठे जिंदादिल पात्र अब सिर्फ कहानियों में ही मिलते हैं...
बहुत बहुत शुक्रिया हम सबको दिए इस नायाब तोहफे के लिए.
नीरज
डिज़ाईन अच्छी लगी...पत्रिका अब पढ़ने जा रहे हैं.
सुखनवर पत्रिका में साहित्य की लगभग हर वो विधा है जो एक साहित्यप्रेमी पाठक पढना चाहता है.. ये अंक भी बहुत ही पसंद आया, चाहे कहानी हो, ग़ज़ल, कविता हो, गीत या लघुकथा सभी का अपना अलग आनंद था.. इस बेहतरीन पत्रिका के लिए जनाब श्री अनवारे इस्लाम साहब का तहेदिल से आभारी हूँ.. कवर पेज भी अच्छा लगा..
सुखनवर पत्रिका की प्रति आज ही मिली, साहित्य के इतने रंग समेटे ये पत्रिका बेहद रोचक और अच्छी लगी. कितनी नई , ग़ज़ल, कविता और कहानिया पढने को मिली.श्री अनवारे इस्लाम साहब जी का दिल से आभार
regards
ek achchi magazine...
ek achchi magazine...
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